Wednesday, July 13, 2011

इस रात के आँचल से .....



इस रात के आँचल से एक तारा तोड़ के लाओ न ,

फिर आकर मेरे पास मेरे दामन पे उससे सजाओ न ..

एक अरसे से यह आँखें सोयी नहीं है , तुम आकर मुझे सुलाओ न ..

वो आवाज़ सुनने को तरस गया है दिल , तुम कहानी कोई सुनाओ न …

इस रात से भी गहरी मेरी तन्हाई हो गयी है , आ जाओ कभी , सीने से मुझे लगाओ न … 

सुनकर जिससे मैं ख्यालों में खो जाया करता था , आज फिरसे वही धुन गुनगुनाओ न …

कभी भीगना चाहूँ बारिश में ,कभी छूना चाहूँ फलक को , मेरी मासूम तमन्नाओ को अपनी चाहत बनाओ न …

और कितना इंतज़ार बाकी है मेरी किस्मत में , अब तो मुझ से मिलने आओ न …



कुछ अपनी कहो कुछ मेरी सुनो , कभी मुझसे रूठो, कभी मुझे 
मनाओ न …

कोई खता हो गयी है तो मुझे माफ़ कर दो ,इस तरह बेरुखी से 
मुझसे नज़रें फिराओ न …

क्या है दिल में तुम्हारे एक बार कह दो , पर इस तरह चुपचाप मेरी 
ज़िन्दगी से जाओ न …

कोई गम है तो दे दो मुझे , तुम मेरी ख़ुशी ले लो , पर मेरी खातिर 
तुम एक दफा मुस्कुरा दो न ..!!

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