Saturday, January 11, 2014

फिर से....




चलो फिर से वापस चलते हैं उस समय में जब मैं और तुम साथ थे 

बचपन की उस उम्र में जब तुम्हें दिल ही दिल चाहता था मैं मगर कभी बोल नहीं पाया 

चलो फिर से माँग लूं ज़िन्दगी से मोहलत तुमसे इश्क़ करने की 

चलो फिर से माँग लूं एक मौका यह जताने का की तेरे साथ मैं क्या और तेरे बगैर क्या नहीं ?

चलो यह दुआ तो दे दो की तुम्हारे बगैर मैं जीना सीख जाऊँ

चलो फिर से मांगू रब से अपनी सब से प्यारी चीज़- तुम ..बदले में चाहे मुझसे कुछ ही ले ले 

चलो फिर से मांगता हूँ सारे जन्मों के लिए तुम्हारा साथ 

चलो एक बार फिर एहसास होने दो कुछ ख़्वाबों के हकीकत में बदल जाने का 


चलो फिर से उस एहसास को महसूस होने दो जब तुम्हारा हाथ पकड़ कर दो कदम चला तो लगा यह ज़िन्दगी तुम्हारे साथ कितनी खूबसूरत है 

चलो एक बार फिर मुझे इश्क़ हो जाने दो ..तुम्हारे साथ..फिर से 

चलो एक बार फिर मेरी ज़िन्दगी में आ जाओ..फिर कभी न जाने का वादा करके 

चलो फिर से उस महल में आओ जो तुम्हारी राह देख रहा है 

चलो बस भी करो .अब मत तड़पाओ अपने बगैर . तुम्हारी कमी का कितना दर्द है शायद तुम जानती नहीं ..

दर्द जो सिर्फ एक बात कहता है .. चलो तुमसे फिर से इश्क़ करते हैं ...हर दिन, ज़िन्दगी भर के लिए

2 comments:

  1. is ladki ke liye yeh likha hai...shes lucky....very simply put...but packs a punch.

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