कुछ तुम हो, कुछ मैं हूँ ..कुछ तुम्हारा ख्याल सा है
कुछ यह रात की ख़ामोशी, कुछ अपनी तन्हाई है
कुछ यह सर्द रात और कुछ तुम्हारे पास होने का एहसास सा है
कुछ यह आज का वक़्त और कुछ पुरानी यादें हैं
कुछ यह मेरे दिल के कहे अल्फाज़ हैं , कुछ यह अनकहे जज़्बात हैं
कुछ यह मेरे इर्द गिर्द लोगों की भीड़ सी है , कुछ फिर भी खाली सा है
कुछ यह तुमसे दूर होने का दर्द सा है, कुछ यह मेरा इश्क़ सा है
कुछ यह जानी पहचानी सी गलियाँ और रास्ते हैं , कुछ यह उनमे अकेले चलने का डर सा है
कुछ यह घड़ी की टिक टिक सी है , कुछ भागता समय सा है
आईने के सामने खड़ा हूँ मैं , मगर कुछ अक्स आज भी तुम्हारा दिखता है
कुछ नशा मुझे मेरी दीवानगी का है , कुछ तुमसे इश्क़ होने का है
कुछ यह मेरे दिल की धड़कन है , कुछ तुमको पुकारती आवाज़ है
कुछ यह मैं अधूरा सा हूँ ..हाँ अधूरा ही तो हूँ तुम्हारे बगैर
अधूरा.. खाली पन्ने पे कुछ चंद लिखे ख्यालों की तरह
अधूरा ... बस अधूरा ..
कुछ तुमको खोने का दर्द सा है ....हाँ , तुमको खोने का दर्द तो है ..
कुछ ...
कुछ.....
Reviewed by Shwetabh
on
10:45:00 AM
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