Memories

The places where moments reside

दिल की कलम से... इतिहास का बिखरता खंडर- हौज़ ख़ास


किसी काम से हौज़ ख़ास विलेज जाना हुआ. काम खत्म हुआ तो सोचा की हौज़ ख़ास काम्प्लेक्स का भी चक्कर लगा लूं. एक कोने में खड़ी वो दीवारें, कब्रें बहुत कुछ कहती हैं. बस कुछ इमारतें छोड़ दें तो बाकी सब तो जर्जर हालत में हैं. झील का नज़ारा दिखाने वाली उस इमारत की हालत शायद बयान न कर पाऊं. अभी और खराब होंगी वो. युवाओं को चढ़ते देखा है दीवारों पे एक फोटो के पोस के चक्कर में, सिर्फ लड़के ही नहीं, लड़कियां भी शामिल हैं. किसी को फोटो पोस चाहिए दोस्तों के साथ, किसी को selfie पोस फेसबुक के लिए. शायद मैं ही था वहाँ जो कैमरे में इतिहास क़ैद कर रहा था. अन्दर घुसते ही दायें तरफ एक तीन गुम्बद वाली इमारत मिली. अन्दर जा कर छत देखेंगे तो उखड़ा हुआ इतिहास मिलेगा. वर्षों से उपेक्षा झेल रही इमारत में 90% तक बर्बाद हो चुका कुछ उर्दू में लिखा हुआ है.

The sorry state of history


बगल की मस्जिद में नहीं गया. उसे security guard ने अपने रहने का इलाका बना रखा था. सीढ़ियाँ उतरा तो एक गलियारा मिला छोटे छोटे कमरों का. पता नहीं क्या था. छत पूरी तरह से उड़ चुकी है, बस कुछ ही अवशेष बचे हैं. कुछ घुमावदार सीढ़ियाँ मुझे फिर ऊपर ले आयीं.

The relics



ऐसे बहुत सारे झरोखों वाली इमारतों से गुज़रा मैं. अब तो गिनती भी भूल गया की पता नहीं कितने थे. भारत के बहुत सारे स्मारकों की तुलना में यहाँ की दीवारों पे उतने प्यार के एलान नहीं थे मगर एक चीज़ जो थी वो थी गंदगी.. स्वच्छ भारत अभियान का सपना छोडिये..जो भी खाने की चीज़ का नाम आपको याद आये उसका पैकेट आपको वहाँ तितर बितर मिल जायेगा. बर्थडे केक का कार्टन, चिप्स का पैकेट, CCD की कॉफ़ी का गिलास, च्युइंग गम का रेपर.. और क्या क्या लिखूं? कूड़ेदान भी हैं और साफ़ रखने की अपील भी है मगर वो सब भी बाहर हैं. अन्दर आपने खाया पिया निपटाया किसको पता ? काफी जगह सीढ़ियाँ भी हैं जो नीचे की तरफ जाती हैं मगर वहाँ भी लोहे के दरवाज़े लगे हैं. आप बस झाँक कर अंदाजा लगा सकते हैं की क्या होगा उस पार ? जहां रास्ता खत्म होता है वहाँ कांटेदार तार लगे हैं ताकि आप टपक न पड़ें ( या तो खुदखुशी की नियत से या ऊँचाई नापने की ).


घास वाले बगीचे भी थे और झील के चारों तरफ चक्कर लगाने का मौका भी था मगर नहीं गया. मन ही नहीं किया. एक सीमित दायरे में ही सब कुछ – मस्जिद, मदरसा, कब्रें, गलियारा सब. अपने वक़्त में शानदार इमारत रही होगी . वक़्त मिले तो फ़िरोज़ शाह की कब्र पे भी झाँक लीजियेगा, नीबू चढ़े मिल जायेंगे आपको उसपर भी. लोग भी पता नहीं क्या क्या...

The tomb
टूटे, बिखरे इतिहास को देख कर मन खट्टा हो गया तो चला आया मैं. चरों तरफ नज़र दौडायेगा तो नए मकान दिखेंगे आपको (अतिक्रमण..क्यूंकि लगभग सटे हुए हैं).

कुछ ही वक़्त में यह इतिहास सिर्फ इतिहास के पन्नो में इतिहास ही बन कर रह जायेगा. वैसे इसमें लोगों के लिए काफी कुछ मिल जायेगा –

1. लोगों का perfect डेटिंग और फूड joint. वही हालत कर रखी है. 

2. अपनी भागती ज़िन्दगी से समय निकालना चाह रहे लोगों के लिए कुछ.

3. मेरी और कई और लोगों के लिए भूले इतिहास को समेट कर रखने के लिए कुछ यादें.

बस एक नन्ही गिल्हरी से दोस्ती करके लौटा मैं...वो नन्ही सी..

My friend



The view of the lake


दिल की कलम से... इतिहास का बिखरता खंडर- हौज़ ख़ास दिल की कलम से... इतिहास का बिखरता खंडर- हौज़ ख़ास Reviewed by Shwetabh on 9:12:00 PM Rating: 5

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