Major Dhyanchand |
एक सफ़ेद गेंद तेरी भी है , एक सफ़ेद गेंद मेरी भी
11 तेरी तरफ हैं और 11 मेरी तरफ भी
लकड़ी का इस्तेमाल तू भी करता है और मैं भी
हर 4 साल में मुझसे “ सोने” की उम्मीद रखने वाले ऐ देश यह बता की फिर मेरी लकड़ी का आकार बदलते ही क्यूँ तेरी नज़र भी बदल जाती है मुझसे?
क्यूँ वो प्यारा और मैं सौतेली हो जाती हूँ ?
उसे मिलता है दर्शकों से भरा स्टेडियम , मुझे मिलती है खाली स्टेडियम में सिर्फ मुझे खेलने वाले खिलाड़ियों की गूंजती आवाजें
वो 9 घंटे का मज़ा तुम्हारे लिए और मैं 60 मिनट की सज़ा तुम्हारे लिए
Cricket |
वो शोहरत की बुलंदी और मैं अपने वजूद को तलाशती लड़ाई
कभी आकर हौसला बढ़ाओ मेरा भी
मैंने हर लम्हें में हार को जीत में बदलते देखा है
जब गूंजती है लोगों की आवाजें हौसला बढ़ाने को , मैंने खिलाड़ियों को योद्धा बनते देखा है
मैंने उस दिन हर खिलाड़ी में एक ध्यानचंद को देखा है
मैंने ढ़ोल नगाड़ो की आवाजों में पूरा देश सुनते देखा है
जी उठे होंगे ध्यानचंद खुद भी ख़ुशी से तब, मैंने खुद को खुद पर गुमान करते देखा है
लेकिन एक बात बता ज़रा...
मेरी लकड़ी का आकार बदलते ही क्यूँ तेरी नज़र भी बदल जाती है मुझसे?
The story behind this- Having witnessed the hockey game many times at the National Stadium , New Delhi at the big games and ensuing support that day which can lead to roadblocks made me realize that there is an absolute magic in hockey with nonstop action in comparison to cricket which needs a lot of patience. Have really seen the Indian Hockey team come back from the brink of defeat to snatch a sensational victory many times when backed up by the crowd but sadly these moments are few and far in between in comparison to cricket. Despite being hailed as the national sport, it struggles to catch the fancy of the population of india, a country selfish enough to demand a Hockey gold medal at the Olympics every 4 years but really doesn’t give the sport the recognition it truly deserves or the reward the players are entitled to..
It’s the hockey`s pain against cricket…and rightly so..
एक सफ़ेद गेंद तेरी भी है , एक सफ़ेद गेंद मेरी भी... #Hockey vs #Cricket
Reviewed by Shwetabh
on
10:21:00 AM
Rating:
No comments: