Brown Rock chat- The bird which visits for water |
मेरे घर आजकल एक नन्ही मेहमान आने लगी है सुबह सुबह – एक छोटी सी चिड़िया है. पानी पीने आती है रोज़. कोई 20-25 दिन पहले एक दिन सुबह सुबह मुझे गर्मी लगी तो ख्याल आया की यह चिड़िया कहाँ पानी पीती होंगी ? बरामदे में 2 कबूतरों ने अतिक्रमण से कर रखा है. Tubelight के ऊपर बैठ जाते हैं आ कर और वहीँ बरामदे में पानी की एक बाल्टी भरी राखी रहती है तो बहुत बार दिन में उन्हें चोंच डुबोते देखा था. खैर उन कबूतरों को तो बाल्टी पता थी मगर बस मेरा यूँ ही ख़याल चिड़ियों पे आ गया. घर में लगी बेल में घुस कर वो चह्चहाती हैं ठीक उसी तरह जैसे किसी पेड़ पर- आखिर छाँव तो मिल रही है. पहले सोचा की वहीँ बेल के पास ही एक बर्तन में रख दूँ पानी मगर तेज़ धूप में उसके गरम होने का खतरा था. फिर वही चीज़ मैंने अपने घर के ऊपर वाले Portico में रखने की सोची. एक प्लास्टिक के मग में पानी रख ले एक किनारे छोड़ देता था मगर मग छोटा था , अगर कोई चिड़िया आ भी गयी तो दिखता नहीं की उसमें पानी है. मगर हम भी ठहरे पक्के ढीठ , रोज़ यह काम करते गए. एक दिन रात में घर वालों से यूँ ही बात चल पड़ी की पानी पीने चिड़िया आती ही नहीं है, तब सुझाव मिला की बर्तन बड़ा कर दो ताकि दिखता रहे. अब सर खपाओ की इत्ता बड़ा बर्तन कहाँ मिलेगा ? दिमाग की घंटी बजी और पूजा की अज्ञारी में इस्तेमाल होने वाला मिटटी का बर्तन उठा लिए यह बोल के कि अगली पूजा में नया ले आना, यह चिड़ियों के नाम हो गया. एक गमला रखने वाले स्टैंड पर वो बर्तन रख कर पानी भर दिया. 3-4 दिन बीतने के बाद कमरे के दरवाज़े से देखा की एक चिड़िया पानी पी रही है.
The bird thirst quencher |
यूँ ही उसको देखता रहा की मैंने आवाज़ की तो कहीं भाग न जाए. पानी पीते ही चहचहाने लगी मानो अपने साथियों को पानी का पता बता रही हो. अब रोज़ सुबह वो कोई 8 बजे के आसपास आ जाती है पानी पीने और चहचहाने. फिर फुर्र से उड़ जाती है सामने वाले पेड़ पर. लगता है उसने सबको पता बता दिया है, उसके कई और साथी आते हैं पानी पीने. शुरू शुरू में बर्तन को भरने में जो पानी ज़मीन पे गिर जाता था वो पीती थीं मगर फिर शायद पता लग गया की समंदर कहाँ है. सिर्फ चिड़िया ही नहीं बन्दर भी पानी के चक्कर में शरीफ हो गए हैं. बहुत बार खाने की तलाश में कॉलोनियों में आ जाते हैं. बहुत बार गमले ही टपका कर फोड़ देते थे. एक बार एक टोली ने धावा बोल दिया. किसी मदारी की बंदरिया थी, पाँव में पायल थी और गले में चमड़े का पट्टा. पानी के पास आई, जी भर के पिया और चुपचाप चली गयी बिना कोई तोड़ फोड़ के. तब से जब जब कोई प्यासी टोली हमला करती है तो बस पानी पी के चल देती है नहीं तो कोई भरोसा नहीं बर्तन ही तोड़ जाएँ. शायद उन्हें भी अंदाज़ हो गया है इस एक घर में पीने को पानी मिलेगा, तोड़ा तो अपना ही नुकसान ही. चिड़िया और जानवर मेरे घर आते रहते हैं यूँ ही पानी के लिए.
Sparrow- The friend who also visits |
दिल की कलम से... वो पानी पीने आती नन्ही चिड़िया
Reviewed by Shwetabh
on
10:45:00 PM
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Such a sweet post... :-)
ReplyDeleteI too love the morning chirps of birds. Very thoughtful of you too have taken pains for the birdies.
ReplyDeletebahutkhub....subah -subah chidiyon ka chahakna dil ko sakun de jata hai
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