ज़िन्दगी बहुत हिसाब सिखा गयी हमें
बस इन बीते पलों का भी हिसाब सिखा दे ज़रा
इस भागती दौड़ती का शोर बहुत है
अब दोस्तों की जुदाई की ख़ामोशी का मतलब बता दे ज़रा
अब दोस्तों की जुदाई की ख़ामोशी का मतलब बता दे ज़रा
जान पहचान वाले बहुत चेहरे मिलते हैं रोज़, इन 50 अजनबियों से
पहली बार मुलाकात कि हिचकिचाहट फिर से याद दिला दे ज़रा
अपनों को तो बहुत जानते हैं हम शायद, इन्ही दोस्तों को पहली बार
जानने की वो गुफ्तगू ही अलग थी ज़रा
अपनी शर्तों पे जीने वाले हम, अब फिर से 9.30 बजे क्लास में बैठने
के पल, इन्ही दोस्तों के साथ वापस दिला दे ज़रा
Starbucks की कॉफ़ी की तलब में भी वो बात नहीं जो हर क्लास के
बाद उस चाय कॉफ़ी में मिला करती थी
Selfie पे तो बहुत likes मिलते हैं मगर दिल के पास अब भी दोस्तों के
साथ खिचवाई वही फोटो है
Xbox, PS4 में वो बात नहीं जो शाम को शटल के पीछे भागने में थी
उस शांत पड़ी Lobby में अब Striker की गूँज सुनने को नहीं मिलेगी
TT टेबल पर टक टक करती वो गेंद भी अब खामोश हो गयी है
दुनिया के लिए हमारा एक नाम है मगर “ RO अंबाला, O Tuticorin,
Near Kanyakumari” बुलाया जाना ज़्यादा अच्छा लगता है
अब बड़े आदमी हो गए मगर वो लाइन लगाकर नंबर देखने की बात
ही अलग थी
आज कमरे में ऐश ओ आराम की हज़ार चीज़ें मगर वो रात में दोस्तों
के साथ कमरे में बैठ कर बात करने का सुकून ही अलग था
आज मोबाइल पे Latest घंटी बजती है मगर आधी रात को कमरों की
घंटी बजा कर भागना ज़्यादा पसंद था
आज कमरे का दरवाज़ा खुद ही खोलता हूँ, वो घंटी बजा कर जल्दी
से किसी भी कमरे का दरवाज़ा खोल कर घुस जाना , एक अनकहा
एहसास है
फोन पे चंद घुमाने पे पूरी दुनिया पास लगती है , मगर पूरी दुनिया का
एक ही छत के नीचे होने की बात ही अलग है
वो बाते पल....
ज़िन्दगी बीते पलों कि एक दास्ताँ है
कुछ किताब के पन्नो पे लिख जाते हैं, कुछ ज़ेहन में उतर जाते हैं
किताब के पन्ने तो वक़्त बाद धुंधला जायेंगे, दिल में उतरे इन पलों को
कैसे भुला पायेंगे ?
दास्ताँ कुछ ऐसी ही होती है उन पलों की...
इन बीते पलों की....
- Dedicated to all my 50 batchesmates and the memories of those 5 weeks....
वो बीते पल....
Reviewed by Shwetabh
on
9:34:00 PM
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Mathur Saab bahut badiya fir se ruladiya... Miss you buddy.
ReplyDeleteBhai waaah.... Har baat dil ko choo gyi....
DeleteKamaal kar diya Mathur sahab. Miss u
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