अपने ज़माने में कभी स्कूल शुरू तो किया था मगर फिर घर की
जिम्मेदारियां आ गयीं और पढ़ाई छोड़ कर फिर शादी हो गयी मगर
पढ़ने की ललक हमेशा बनी रही . उन्हें आज भी याद है वो दिन जब
अपनी पोती के होने पर कितना हंगामा किया था क्यूंकि उहें पोता
चाहिए था, “ बोझ “ नहीं ..
आज वही बोझ इतनी बड़ी हो गयी कि पिछली गर्मी की छुट्टियों में
आई थी तो अपनी पुरानी स्कूल की कहानियों की किताब अपनी दादी
के पास छोड़ गयी थी...
अब जब भी उनकी पुरानी ललक जाग उठती है तो खाली वक़्त में
उसी पुरानी किताब में कहानियों के बीच में अपनी पोती को ढूंढ लेती
हैं ...
किताब ... #FridayFotoFiction
Reviewed by Shwetabh
on
9:30:00 AM
Rating:
Very nice, Shwetabh. More power to her.
ReplyDeleteThank you for writing for #FridayFotoFiction
A sweet bond transcending generations does translates into a good read!
ReplyDeleteHindi bhasha ki madhurata aur aap ki kahani inn dono ke milap se ubhare huve rang ek bahot hi anokhi chavi chod jaate he dilo dimag paar! (sorry i cant type in Devanagari...so pl bear!)
- Anagha From Team MocktailMommies
https://mocktailmommies.blogspot.in/2017/08/i-chose-light.html
Very beautiful story.
ReplyDeleteI am reading Hindi after ages and I was about to skip but decided to give it a try. Kya Khoob likes hai apace, baniya hai!
ReplyDeleteVery nicely written. Zeal to educate is some thing I can relate to, my Mom in Law is like that. Beautiful
ReplyDeleteAti sunder
ReplyDeleteBohot khoob, more power to her.
ReplyDeleteThank you for linking up with #FridayFotoFiction.