“यह क्या है? छवि से फ़ोन कराते हो जीन्स और टॉप में तैयार रहना,गाड़ी में बैठाने से पहले आँखों पे पट्टी, हाथ थाम के बैठे हो.यह किडनेपिंग हो रही है मेरी कि रोमांस की कोशिश कर रहे हो?“
“हाथ छोड़ा तो तुम पट्टी हटा लोगी,किडनैप किया होता तो पीछे डिक्की में बंधी होती तुम..”
“यह कौनसे रास्ते पे चलवा हो मुझे?”
“खुद देख लेना”
पट्टी हटते ही गरिमा कि बोलती बंद हो गयी नज़ारा देखते ही और हम दोनों यूँ ही चुपचाप बैठ गए.
“अब समझ आया कि तुम इतने दिनों से कहाँ गायब रहते थे. खैर अब तुम मेरा हाथ छोड़ सकते हो,अब पट्टी नहीं है”
हाथ की पकड़ बदलकर उसका हाथ अपने हांथों में लिया और कहा, “गरिमा..”
छवि के पास एक मेसेज आया, “अब से गरिमा को भाभी कहो या दीदी एक ही बात है.नहीं कहूँगा उससे तो शायद मर ही जाऊंगा, आज हो ही जाए ..”
This post is a sequel to दिल कुछ कहना चाहता है
To know more about this romantic series catch hold of :
कैसे कहूँ उससे ? #fridayfotofiction
Reviewed by Shwetabh
on
6:11:00 PM
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i like how the girl is hilarious with the blindfold! Thanks for linking up with #FridayFotoFiction.
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