बात पिछले नवरात्रों की है. घर के पास वाले मंदिर में घर वालों ने दुर्गा जी को चढ़ाने के लिए कुछ सामान दिया था.दूरी होगी कोई 1.25 km. सनडे का दिन था, जब तब तैयार हो कर निकले तब तक 10 पार हो चुका था, गाड़ी उठाई और चल दिये. अब वहाँ पहुंचे तो भई साहब आंटी लोगों की वो मार भीड़ कि क्या बताएं?? मंदिर के बाहर ही कुछ लड़कियों ने एक लोहे का जूता चप्पल स्टैंड रख रखा है , वो बात अलग है कि कोई भी उन्हें पैसे नहीं देता, वो खुद ही हर किसी से मांग लेती हैं.3-4 मुझे पहचानने भी लग गईं थी तभी मुझसे कभी नहीं मांगा क्यूंकी मैं 1 आध रुपया दे ही देता था.
अब उस दिन किस्मत इत्ती खराब कि जल्दी में न बटुआ ले कर गए और न ही चिल्लर. बस जेब में 5 का सिक्का पड़ा हुआ था. भीड़ देख कर हालत खराब हुई, हवाई चप्पल उस जूता स्टैंड के पास न उतार कर उसकी बगल में बैठे फूल वाले के पास उतारी. अंदर कुम्भ मेला माहौल से जब 5 मीन के बाद निकले तो आप सोच ही सकते हैं कि क्या हुआ होगा – चप्पल पार. अब हम यहाँ देखें वहाँ देखें तो मिल के न दे. फूल वाला अपने बिज़नस में लगा हुआ है – उसे क्या मतलब ? यह सोच कर कि भीड़ में कोई भरोसा नहीं उनही लड़कियों से चप्पलें स्टैंड पर कर दी हो क्यूंकी बहुत थे और मंदिर का रास्ता भी रुक रहा था (उनसे जो मंदिर के ठीक बाहर उतार देते हैं). अब लड़की से पूछा तो बोली भैया देख लो, आपने यहाँ उतारी होती तो मिल ही जाती. हमने भी माथा थोक लिया कि कमबख्त जल्दी के 1 रुपया बचाने के चक्कर में चपत लग गयी. अब कमबख्त जो कोई पहन कर गया था वो न जाने अपनी कौनसी छोड़ गया था वरना मैं भी उसकी छोड़ी हुई पार कर देता. अब सारी वहाँ लेडिज सैंडल और चप्पलें. अब वो तो गनीमत थी कि मैं हवाई चप्पल पहन कर आया था, अपनी सैंडल नहीं वरना और फटका लगता. शुक्र था कि activa थी वरना मेरा तो घर पहुँचना मुश्किल हो जाता ( न रुपए, न जूता चप्पल और न ही मोबाइल – जो कि मैं मंदिर कभी साथ नहीं ले जाता) तो पैर में 2-3 पत्थर चुभवाने के बाद गाड़ी स्टार्ट की और चल पड़े घर. रास्ते में बस येही मना रहे थे की कहीं पैर से गाड़ी रोकने की नौबत न आ जाये . घर पहुँच कर तीनों चीजों रख कर निकाल पड़े बाटा.
वहाँ पे वही नयी चप्पल मुझे 300 की पड़ी. वो जल्दी में 1 रुपया मुझे आखिर में 300 का पड़ गया. अब जब भी मंदिर जाता हूँ तो देख लेता हूँ कि और कुछ हो न हो 1-2 रूपया चिल्लर ज़रूर होना चाहिए.
आपबीती : 1 रुपया 300 का पड़ गया
Reviewed by Shwetabh
on
4:21:00 PM
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Really.
ReplyDeleteIn the movie PK, PK locked his slippers using lock & key in the temple :)
Sometimes we learn the lessons the hardest way... temples are often the place to teach us so... :)
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