Memories

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दिल की कलम से : पंचायत का वो आखिरी एपिसोड


पंचायत के उस आखिरी एपिसोड के 20 मिनटों ने सच में हिला के रख दिया यार... बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि ऐसा होगा. मगर फिर भी कहीं न कहीं बहुत सारी सच्चाई और बातों को पिरो गए वो आखिर के भारी मिनट . दिखा गए कि नेता आज भी शहादत पे दिखावा करने पहुँच जाते हैं, दिखा दिया कि आज भी गाँव में चाहे आपस में कितना भी झगड़ा हो, जब भी गाँव का कोई भी बेटा तिरंगे में लिपट कर आता है तो सारा गाँव उस दर्द, उस शोक को महसूस करता है.

दिखा दिया कि कैसे हमे आज भी ज़रूरत है एक संवेदनशील मीडिया की, न कि breaking news breaking news चिल्लाने वाले शोर की . दिखा दिया कि कितनी ज़रूरत है मीडिया के लोगों का पहले इंसान होना, न कि AC स्टूडिओ में बैठ कर अपना सेगमेंट चला लेना .


कितना सब कुछ है अगर आप न चाहते हुए भी सोचना शुरू करें तो... कितना मुश्किल होता होगा एक सेना के लिए अपने जवान को उसके गाँव जा कर हमेशा के लिए विदाई देना, उस परिवार के ताउम्र दर्द को सहना, कैसे गाँव के लड़के एक जज़्बे को लेकर सेना में जाते हैं एक फक्र के साथ...

यह सब बयान करना मुश्किल है , बेहद मुश्किल...

शायद ही कोई ऐसा धारावाहिक हो जिसका अंत आपको इतना भावुक कर सकता है… मैं सोचने लगता हूँ यह मई 2022 है जब पंचायत इतना उदास कर गई, वो भी मई 1999 था जब ऐसे ही दृश्य पूरे देश में देखने को मिले थे करगिल से वापस , तिरंगे में लिपटे हुए ... 532. उस समय भी ऐसा ही दर्द रहा होगा, और आज भी, जब भी कोई लिपटा तिरंगा किसी घर पहुँचता होगा .

आज के fast food entertainment के जमाने में अगर कोई एपिसोड आपको इतने गहरे सन्नाटे में डाल दे तो सोच लीजिये कि आप एक दिल को छू लेने वाला मनोरंजन बनाने में सफल रहे .

* Originally intended to be published in May 2022
दिल की कलम से : पंचायत का वो आखिरी एपिसोड दिल की कलम से :  पंचायत का वो आखिरी एपिसोड Reviewed by Shwetabh on 12:02:00 PM Rating: 5

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